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बैटरी के revolution, modernizations और applications

बैटरी के revolution, modernizations और applications

पहिए का आविष्कार जितनी तेजी से मानव जीवन प्रगति चक्र को घुमा कर आसान बनाया, उससे कई गुना ज्यादा विद्युत धारा का आविष्कार | सन 1800 में सर्वप्रथम विद्युत धारा का खोज करने वाले अलेक्जेंडर वोल्टा ने बताया कि “विशेष रासायनिक प्रतिक्रिया बिजली पैदा कर सकती है और यह बिजली स्थिर विद्युत प्रवाह प्रदान करती है “ |  विद्युत धारा के साथ जन्म ली वह उपकरण जो रासायनिक प्रतिक्रिया को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करता था जिसका नाम वोल्टाइक पाइल से चलकर आज बैटरी तक पहुंची |

तो इस पोस्ट में आप बैटरी के revolution , modernizations और इसके applications के साथ बैटरी के रोचक तत्व के बाड़े में विस्तार से जानेंगें |

बैटरी का revolution

प्रारंभ में केमिकल के प्रयोग से बैटरी का निर्माण बहुत सफल प्रयोग नहीं था, तब जाकर सन 1836 में इस प्रयोग में जान फूंकने का काम डेनियल ने किया उन्होंने बिजली उत्पादन के लिए जिंक सल्फेट और कॉपर सल्फेट का प्रयोग किया था कम बोल्ट की यह बैटरी लंबे समय तक बिजली उत्पादन करने में सक्षम थी और इस सेल का नाम डेनियल सेल दिया गया तब इसका उपयोग बड़े पैमाने पर अमेरिका के टेलीफोनी सेवा के लिए होने लगा |

इस प्रयोग के बाद बैटरी निर्माण प्रक्रिया में छोटे-छोटे  सुधार किए गए जो काफी अहम साबित हुई ऐसी ही एक छोटी सी कोशिश सन 1859 में रिचार्जेबल बैटरी के लिए गेस्टन प्लानटे ने की |

जबकि थॉमस एडिसन ने भी इस क्षेत्र में अपना काफी योगदान दिया सन् 1930 में निकल आयरन सेल के साथ अल्काइन सेल का नया प्रयोग पेटेंट किया |जो काफी लोकप्रिय हुआ इसमें अल्काइन एनोड और निकेल ऑक्साइड कैथोड के रूप में काम करता था, साथ ही इसमें पोटेशियम क्लोराइड का भी उपयोग किया गया था| इस बैटरी का प्रयोग मुख्य रूप से ऑटोमोबाइल के लिए किया गया |

 सन 1955 में जिंक कार्बन बैटरी में काफी सुधार किया गया और आज की बैटरी उसी सुधार के साथ उपलब्ध है |  इसका श्रेय जाता है इंजीनियर ल्विस यूरे को|

बैटरी किसे कहते है ?

सेलों के समूह को बैटरी कहते हैं, और सेल वैसा उपकरण होता है जो रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित कर सके | जैसा कि हम सब जानते है कि बैटरी एक DC पावर supply का स्रोत है | जिसकी मदद से हम कोई भी DC सप्लाई से चलने वाला उपकरण उपयोग कर सकते है |

बैटरी के प्रकार

 बनावट के आधार पर आज बैटरी को दो भागों में बाँटा जा चूका है |

  1. लिथियम आयन बैटरी
  2.  दूसरा लेड एसिड बैटरी

लिथियम आयन बैटरी :

लिथियम आयन बैट्री को सूखा बैटरी भी कहा जाता है| लिथियम-आयन बैटरी’ या ‘ली-आयन’ बैटरी एक प्रकार की रिचार्जेबल (पुनः चार्ज की जा सकने वाली) बैटरी है।

वैसे तो इसका इतिहास ज्यादा पुराना नहीं है 1970 में तेल समस्या से जब पूरा विश्व जूझ रहा था उस वक्त रिचार्जेबल बैटरी को लेकर नया प्रयोग दिखा था| इसके लिए टाइटेनियम और other मेटल का उपयोग किया था| हालांकि यह बहुत सफल नहीं हुआ, परंतु 1980 में यूएस के वैज्ञानिक जॉन बी गुडइनफ ने इस प्रयोग को आगे बढ़ाया और टाइटेनियम की जगह लिथियम कोबाल्ट ऑक्साइड का उपयोग किया जो पुरानी प्रयोग से दुगुनी पावर सप्लाई में सक्षम था |

जापानी वैज्ञानिकों द्वारा लगातार प्रयास के बाद पहली बार आधुनिक लिथियम बैटरी का प्रोटोटाइप पेश किया गया | यहीं से लिथियम आयन बैटरी के इतिहास में नया अध्याय जुड़ गया |

इस प्रयोग पर पहली बार कमर्शियल लिथियम आयन बैटरी का निर्माण 1991 में सोनी और असाही द्वारा मिलकर किया गया और इस डेवलपमेंट टीम का नेतृत्व कर रहे थे योशिओ निशि इसके लिए इन्हें 2019 का नोबेल पुरस्कार से भी नवाजा गया| जबकि पहला सफल लिथियम आयन बैटरी लिथियम पॉलीमर बैटरी की है जोकि लिथियम आयन बैटरी की ही भाग है |

लिथियमआयन बैटरी का उपयोग:

इस बैटरी का प्रयोग वैसे उपकरण में होता है , जँहा घटना के कालक्रम को कम समय में पूरा करना होता है जैसे :  इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, टेली-कम्युनिकेशन, एयरोस्पेस, औद्योगिक अनुप्रयोग इत्यादि में ,

2.लेड एसिड बैटरी :

वैसा बैटरी जो स्पंज लेड और लेड का उपयोग कर रासायनिक ऊर्जा को विद्युत शक्ति में बदलने के लिए peroxide ( ऑक्सीज़न का अन्य तत्वों के साथ बना ऐसा मिश्रण , जिसमें ऑक्सीज़न की मात्रा अधिक हो ) करती है |  इस प्रकार की बैटरी को लीड एसिड बैटरी कहा जाता है।

 लेड एसिड बैटरी एक सेकेंडरी सेल टाइप की होती है |  जिसे हम बार-बार उपयोग करके रिचार्ज कर सकते हैं |  इसीलिए इसका काफी ज्यादा उपयोग किया जाता है और इसका उपयोग इलेक्ट्रिकल इंडस्ट्रीज से लेकर ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में भी किया जाता है, क्योंकि इसमें उच्च सेल वोल्टेज और कम लागत होती है।

बैटरी का अनुप्रयोग

बैटरी का अनुप्रयोग

यूपीएस बैटरी :-

इसका उपयोग कंप्यूटर मैं अनइंटरप्टेड सप्लाई के लिए होती है |

इनवर्टर बैटरी :-

घरेलू उपयोग में लाइटिंग,  मोटर पंखा, फ्रिज इत्यादि, और व्यापारिक प्रतिष्ठान में अनइंटरप्टेड पावर सप्लाई के लिए, जैसे कि – बैंक, पेट्रोल पंप, मिल्क कूलिंग प्वाइंट,  स्कूल, दुकान, मॉल, कल – कारखाना, पब्लिक प्लेस, इत्यादि | बैटरी वैसे कई प्रकार के होते हैं परंतु ज्यादातर इस्तेमाल लेड एसिड बैटरी की होती है |

वाहन बैटरी :-

भारत ही नहीं वरन पूरे विश्व में आज आधुनिकता के दौर में सबसे बड़ी मांग ई – वाहन बैटरी की है,  चुकी आज के दौर में कल- कारखाने एवं मोटर वाहन से निकलने वाली धुआं ग्लोबल वार्मिंग को प्रभावित करती है,  जिससे पूरे विश्व में प्रकृति असंतुलन की खतरा बढ़ रही है,  इसीलिए ई-वाहन की मांग आज हर विकसित और विकासशील देश की सबसे बड़ी मांग है | भारत जैसे देश में आज ई-रिक्शा वाहन बहुत उपयोग में लाया जा रहा है,  जिससे ई – रिक्शा वाहन बैटरी का मांग सबसे अधिक है |

Interesting fact about Battery

1. लिथियम का ढेर सारे घटको में पड़े पैमाने पर उपयोग किया जा रहा है जिस वजह से  लिथियम अब एक अत्यंत दुर्लभ तत्व बन गया है। आज पृथ्वी पर उपलब्ध लिथियम भंडार लगभग 25 वर्ष तक ही रहेंगा ,इसके लिए लिथियम आयन इलेक्ट्रोलाइट  का विकल्प खोजना हमारे लिए अत्यंत  आवश्यक हो गया हैं।

2. आप बैटरी को 6 इंच की हाईट से गिरा कर देखिए। बैटरी अगर एक बार उछलती है तब यह ठीक हालत में है। अगर ज्यादा बार उछलती है तो यह खराब हो चुकी है या खराब होने वाली है।

3.  आज के दौर में मोबाइल का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर हो रहा है और अगर मोबाइल में बैटरी ही ना रही तो मोबाइल किसी काम का ही नहीं रहेंगा वैसे आज के दौर में मोबाइल फ़ोन चार्ज करना दैनिक जीवन का अनिवार्य हिस्सा ही बन गया हैं।लिथियम का सबसे बड़े पैमाने में बैटरी में उपयोग किया जाता हैं ,अक्सर जब भी आप बैटरी को देखते होंगे तो उसपर लिखा होता है ,Li -ion  बैटरी।

4. “बैटरी” शब्द का उपयोग सर्वप्रथम बेंजामिन फ्रैंकलीन ( 1749 ) की थी,  परंतु बैटरी की खोज सर्वप्रथम अलेक्जेंडर वोल्टा  (1792 परिक्षण – 1800 ईसवी में उन्होंने पहली बैटरी का निर्माण भी किया। )  ने की थी |

5. बैटरी के विकास से ही विद्युत का औद्योगिक प्रयोग प्रारंभ हुआ |

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